रविवार, नवंबर 14, 2010

कर्णधार

जिन्होंने बनाये तुम्हारे लिए शहर, सड़कें, इमारतें, वायुयान
जिन्होंने सजा दिए तुम्हारे बाज़ार
जिनके हिस्से के पैसों से चढाते हो अपने शेयर मार्केट तुम एक देश में
और दूसरे देश के सूचकांक लड़खड़ा जाते हैं.
जिनके पसीने से चमकती है तुम्हारी कोट की कालर,
महकती हैं तुम्हारी आस्तीनें
सभ्यता के सारे औज़ार घूमते हैं उनके ही इशारों पर
उन्होंने ही बनाई हैं बंदूकें और तोपें भी
तुम्हारे युद्ध और शांति के खेल के लिए.
और ये सब चलाना भी जानते हैं वे
तुमसे बेहतर.

१४ नवम्बर 2010

2 टिप्‍पणियां:

Nilesh ने कहा…

A Threat when put subtly, sounds the more threatening.
"Like."

DHARMENDRA MANNU ने कहा…

bahot achhi lagi ye kavita... bahot bahot badhaai...