अन्त
थोड़ी ज़िन्दगी के बाद.
लड़की चाहती है ज़हर,
झूठे प्यार के बाद
नेता चाहता है खौफ़,
भाषण के बाद.
सम्राट चाहता है शांति,
युद्ध के बाद.
न्यूज़ चैनल चाहता है एक कामर्शियल ब्रेक,
बूथ लुटने के बाद,
हर कोई चाहता है कोई न कोई झूठा दिलासा,
एक गहरी शर्म के बाद.
जैसे शब्द चाहते हैं अर्थ कोई,
बार-बार कहे जा चुकने के बाद.
ऐसी निरर्थकता में भी मैं चाहता हूँ एक सार्थक अन्त,
सारी निराशा के बाद.
Jan, 2006
2 टिप्पणियां:
bahut badhiya!!gmail.com
apki kavita padhi bahut acha laga kamal ka likhte hai ap.keep it up.
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