गुरुवार, सितंबर 18, 2008

एक पुरानी कविता

नींद नहीं आना कोई मजबूरी नही है, 
न ही सो जाने में कोई खूबसूरती .

नींद नहीं आना एक कविता है, जो 
दीवारों पर लिखी जाती है, 
और छत जिसे रात भर पढ़ती है.

न सोता हुआ व्यक्ति एक अदना सा कवि होता है,
जिसकी कविता में खुंसे होते हैं,
करोड़ों सवालों के माकूल जवाब.
:1998

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